अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिले हुए 75 साल बीत चुके हैं. इस अवधि में देश की अर्थव्यस्था फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. इंडियन कॉरपोरेट हिस्ट्री पर गौर करें तो देश में आजादी से पहले की करीब 70 कंपनियों ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया. जानते हैं अब ये कंपनियां किस हालत में हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy)
आज दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी के तौर पर उभरी है. विश्व बैंक (World Bank) से लेकर आईएमएफ (IMF) तक ने इसके लिए देश को सराहा है. भारत की तरक्की में कॉरपोरेट सेक्टर (Indian Corporate Sector) का अहम योगदान रहा है, खासकर ऐसी कारोबारी घरानों का जो आजादी से पहले अस्तित्व में आए थे. इनकी लिस्ट लंबी है. वहीं कुछ ऐसी भी बड़ी कंपनियां हैं जो आजादी के आस-पास शुरू हुईं और बुलंदियों पर पहुंचने के बाद धीमे-धीमे उनका अस्तित्व ही खत्म हो गया.
- ‘सीक्रेट बैलेट करा लें, दिमाग के दरवाजे खुल जाएंगे…’, राहुल गांधी के बयान पर बोले LG मनोज सिन्हा
- टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?
- IND vs SA Final Live: भारत ने फाइनल में जीता टॉस, साउथ अफ्रीका के खिलाफ बैटिंग चुनी
- जब पहली बार मिले थे अटल-आडवाणी… ऐसे बनी थी देश की मशहूर सियासी जोड़ी
- जब पहली बार मिले थे अटल-आडवाणी… ऐसे बनी थी देश की मशहूर सियासी जोड़ी
आजादी से पहले 70 कंपनियां शुरू भारत आज दुनिया भर में अपनी अहमियत और रुतबा पेश कर रहा है. सबसे तेजी से बढ़ती इस अर्थव्यवस्था (Economy) में कारोबारी जगत के दिग्गजों का बड़ा योगदान है. अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिले हुए 75 साल बीत चुके हैं और इस अवधि में देश की अर्थव्यस्था फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. इंडियन कॉरपोरेट हिस्ट्री पर गौर करें तो देश में आजादी से पहले की करीब 70 कंपनियों ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया. इनमें से कई ऐसी कंपनियां हैं, जो ब्रिटिश शासन के दौरान अपनी नींव डाली और आजादी के 7 दशक से ज्यादा समय बाद आज भी भारतीय कारोबार जगत की शान बनी हुई हैं. रिलायंस, टाटा समेत तमाम दिग्गज भारतीय कॉरपोरेट घरानों का डंका पुरी दुनिया में बज रहा है और इनका विशाल कारोबारी साम्राज्य न केवल भारत बल्कि दुनिया के सैकड़ों देशों में फैला हुआ है.
टाटा ग्रुप (शुरुआत: वर्ष 1868)
आजादी से पहले शुरू हुई कंपनियों की बात करें तो टाटा ग्रुप (Tata Group) का नाम सबसे ऊपर आता है. देश को नमक से लेकर लग्जरी कार और हवाई जहाज तक का सफर कराने वाला ये कॉरपोरेट ग्रुप 1868 में शुरू हुआ था. वहीं आज आईटी सेक्टर (IT Sector) की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस (TCS), मेटल सेक्टर में टाटा स्टील (Tata Steel), टाटा मोटर्स (Tata Motors) के साथ इंडियन होटल कंपनी (Indian Hotel Company) और एविएशन सेक्टर की दिग्गज एअर इंडिया (Air India) इस समूह की शान है.
यही नहीं वाहनों के मामले में टाटा मोटर्स (Tata Motors) तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है. इसमें जैगुआर (Jaguar) और लैंड रोवर (Land Rover) जैस ब्रांड भी शामिल हो चुके हैं. जमशेदजी टाटा द्वारा 1903 में इंडियन होटल्स कंपनी की स्थापना की गई थी. मुंबई में ताजमहल पैलेस (Taj Hotel Mumbai) आज देश की पहचान है.
ब्रिटानिया (शुरुआतः वर्ष 1892 )
फूड सेक्टर (Food Sector) की इस बड़ी कंपनी ब्रिटानिया (Britannia) की शुरुआत भी आजादी से पहले साल 1892 में हुई थी. आज भी बिस्किट से लेकर अन्य खाद्य उत्पादों के कारोबार में इसका दबदबा बना हुआ है. इस कंपनी की स्थापना कोलकाता में वाडिया परिवार (Wadia Family) ने की थी. पुरानी रिर्पोटों की मानें तो एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ कारोबार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान तेजी से बढ़ा और आज दुनियाभर में इसका कारोबार फैला हुआ है. फोर्ब्स (Forbes) के मुताबिक, 2022 में कंपनी के नेटवर्थ 370 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई गई है.
गोदरेज (शुरुआतः वर्ष 1897)
गोदरेज (Godrej) आज मेटल, इलेक्ट्रॉनिक्स समेत रिएलिटी सेक्टर तक में जाना-पहचाना नाम है. यह समूह उन बड़े नामों में शामिल है, जो आजादी से पहले से देश आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने में भूमिका निभा रहा है. साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज ने इस कंपनी की स्थापना की थी. कंपनी की तिजोरियों पर अंग्रेजों को भी पूरा भरोसा था. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 1911 में किंग जॉर्ज पंचम और रानी मेरी ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान अपने कीमती सामानों को रखने के लिए गोदरेज की तिजोरियों को ही चुना था. बात करें ऐसी कंपनियों की जो आजादी से पहले या फिर इसके आस-पास अस्तित्व में आईं और रॉकेट की रफ्तार से बुलंदियों तक पहुंचीं, लेकिन समय से साथ-साथ इनका कारोबार घटता गया और आज इनका नाम लगभग गायब चुका है. इनकी लिस्ट भी लंबी है. आइए नजर डालते हैं कुछ प्रमुख ब्रांड्स पर….
Filmistan Studio भारतीय सिनेमा को एक अलग मुकाम पर पहुंचाने में फिल्मिस्तान स्टूडियो का अहम रोल रहा है. आजादी से पहले 1943 में जन्म हुआ फिल्मिस्तान प्रोडक्शन हाउस का आगाज हुआ था, लेकिन कुछ समय बाद ही इसे स्टूडियो में तब्दील कर दिया गया. इसका जिम्मा सशधर मुखर्जी चुन्नीलाल कोहली करते थे. लेकिन, 1950 में चुन्नीलाल की मृत्यु हुई के बाद फिल्मिस्तान की सारी जिम्मेदारी शशधर मुखर्जी पर आ गई. आर्थिक प्रबंधन कमजोर होते जाने के चलते इसे बेचना पड़ा और इसे एक सूती मिल के मालिक तोलाराम जालान को बेच दिया गया. आज देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में ये धरोहर धूल खा रही है.
Havemore Icecream
आजादी से पहले हैवमोर (Havemore) की शुरुआत सतीश चंद्र चोना ने वर्ष 1944 में की थी. फिर आजादी मिली और विभाजन हो गया. इसके बाद सतीश चंद्र ने अपना आइसक्रीम कारोबार 1951 में फिर से अहमदाबाद से शुरू किया. घर में आइसक्रीम बिजनेस शुरू किया गया और देखते ही देखते ये कारोबार बढ़ता चला गया. हालांकि, आजादी के पहले की ये कंपनी अब दक्षिण कोरियाई कंपनी लॉटे कन्फेक्शनरी द्वारा खरीद ली गई है.
आजादी के आस-पास शुरू हुए ये नाम भी गायब
HMT Watch : ऐसी कंपनियों में एक बड़ा नाम है एचएमटी घड़ी का… 90 के दशक में ये ब्रांड लोगों के लिए स्टेटस सिंबल बन गया था, लेकिन अब इसका सफर खत्म हो चुका है. एचएमटी की घड़ी पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय में बनना शुरू हुई थी. एचएमटी (हिंदुस्तान मशीन टूल्स) की स्थापना किए जाने के बाद साल 1961 में hmt Watch का प्रोडक्शन भारत में शुरू हुआ. कंपनी ने जापान की सिटिजन वॉच कंपनी (Citizen Watch Company) के साथ मिलकर hmt का निर्माण शुरू किया था.
कंपनी ने पहली घड़ी चाचा प्रधानमंत्री नेहरू के लिए बनाई थी और फिर इसका कारोबार देखते ही देखते आसमान छूने लगा. 70 और 80 के दशक तक एचएमटी की घड़ियों का बिजनेस बुलंदियों पर पहुंच चुका था. लेकिन देश में उदारीकरण के बाद इसका बुरा दौर ऐसा शुरू हुआ, कि फिर ये उठ नहीं पाई.
Vijay Super : विजय सुपर 70 के दशक वाले लोकप्रिय स्कूटर में से एक था. दरअसल, 1972 में सरकार द्वारा संचालित स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड (Scooters India Ltd) ने भारत में लैम्ब्रेटा स्कूटरों की मैन्युफैक्चरिंग और सेल्स की शुरुआत की थी. इसके बाद कंपनी ने विजय सुपर को सबसे पहले लॉन्च किया. कंपनी के लम्ब्रेटा, विजय डीलक्स और विजय सुपर जैसे स्कूटर देश की शान माने जाने लगे थे. हालांकि, लखनऊ में इसका कारोबार शुरू होने से पहले इसे इन्नोसेंटी के तौर पर जाना जाता था, जो कि इटली बेस्ड कंपनी थी.
Author Profile
Latest entries
- इलेक्शनSeptember 12, 2024‘सीक्रेट बैलेट करा लें, दिमाग के दरवाजे खुल जाएंगे…’, राहुल गांधी के बयान पर बोले LG मनोज सिन्हा
- इलेक्शनSeptember 12, 2024टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?
- खेल जगतJune 29, 2024IND vs SA Final Live: भारत ने फाइनल में जीता टॉस, साउथ अफ्रीका के खिलाफ बैटिंग चुनी
- UncategorizedMarch 30, 2024जब पहली बार मिले थे अटल-आडवाणी… ऐसे बनी थी देश की मशहूर सियासी जोड़ी