डिजिटल युग में सवाल पूछा गया कि देश में बढ़ती बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार कौन है। पेश हैं दर्शकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं…
गलत नीतियों का परिणाम
केंद्र में जब से एनडीए की सरकार आई है, रोजगार कम हो रहे हैं। यह सरकार की गलत नीतियां का परिणाम है। यह सरकार रेलवे और कई सरकारी कम्पनियों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है। अब कोरोना के चलते रोजगार जा रहा है। सरकार बाहरी कंपनियों को टैक्स में छूट का लालच देकर आमंत्रित करती है। इससे बेहतर तो यह है कि टैक्स में छूट देकर भारतीय कंपनियो को ही प्रोत्साहित किया जाए। ज्यादा से ज्यादा छोटी कंपनियों को टैक्स व अन्य चार्जेज मे छूट कर उनको आगे बढ़ाया जाना चाहिए। सरकारी नौकरी के लिए निकाली गई भर्ती प्रक्रिया को लटकाना नहीं चाहिए। उसे शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। दिनेश कुमार, झुंझूनू
सरकार नौकरियां देने में विफल
देश मे बेरोजगारी चरम शिखर पर पहुंच गयी है और केंद्र सरकार ने जुलाई 2020 के बाद किसी भी तरह की भर्ती पर रोक लगा दी है। चाहे इसकी वजह कोरोना के कारण आर्थिक तंगी बताई जा रही हो, लेकिन सच तो यह है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में युवाओं की बेरोजगारी साल दर साल बढ़ती गयी है। सरकार ने बेरोजगारी के आंकड़े छुपाने की कोशिश भी की। सरकार युवाओं को नौकरियाँ देने में विफल रही है। जो प्राइवेट सेक्टर में नौकरियाँ बची थी, अब कोरोना की वजह से उन पर भी तलवार लटकी हुई है। इसलिए कह सकते है कि केंद्र सरकार युवाओं को रोजगार देने में विफल तो रही ही है। इस दौरान नौकरियां भी बहुत गई है , जिससे बेरोजगारी चरम पर पहुंची है। इसका नुकसान आज देश का युवा उठा रहा है।
सियाराम मीना, पिपलीया, बून्दी
पारिवारिक धंधों से बनाई दूरी
बढ़ती बेरोजगारी चिंता की बात है, क्योंकि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में किताबी ज्ञान पर जोर दिया गया है और शारीरिक श्रम की उपेक्षा की गई है। यही वजह है कि आज देश भर में डिग्रीधारियों की कोई कमी नहीं है, मगर वे शारीरिक श्रम से अब भी कतराते हैं। जब तक शिक्षा को शारीरिक श्रम से नहीं जोडा जाएगा, तब तक बेरोजगारी की समस्या से नहीं निपटा जा सकता है। एक अन्य कारण यह भी हैं कि आज की युवापीढ़ी पारिवारिक धंधों से दूर होती जा रही है। हर कोई सरकारी नौकरी में जाना चाहता है, जबकि सरकारी नौकरियां सीमित संख्या में हैं।
सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
समस्या पर सरकार का ध्यान ही नहीं
बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो बड़ी चिंता की बात है। बावजूद इसके सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में कोई रूचि नहीं दिखा रही है। सरकारी विभागों में लाखों की संख्या में पद रिक्त पड़े हंै, जो यदि भरे जाएं तो युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा। इसके अलावा सरकार नए रोजगार का सृजन कर बेरोजगारी की समस्या को कम कर सकती है। मुश्किल यह है कि इस तरह की कोई पहल सरकार द्वारा नहीं की जा रही है। सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है, जिससे बेरोजगारी ही बढ़ेगी।
-सुदर्शन सोलंकी, मनावर धार, मप्र
रोजगारपरक शिक्षा की जरूरत
देश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी के लिए एजुकेशन सिस्टम, सरकार व जनता खुद जिम्मेदार है। हमारे समाज में लोग रोजगार के लिए शिक्षा पर ही आश्रित हैं, लेकिन रोजगारपरक शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा। देश में लोगों को साक्षर बनाने पर जोर दिया जाता है, शिक्षित करने पर नहीं। बढ़ती जनसंख्या भी एक प्रमुख कारण है।
-विपुलराज पितलियां, सिंगोली, मध्यप्रदेश
रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं
बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसके लिए सरकारें तथा दोषपूर्ण शिक्षा नीति जिम्मेदार है। सरकारें रोजगार के अवसर बढाने पर ध्यान नहीं देती। वर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को रोजगार के लिए तैयर नहीं करती।
-चंचल प्रकाश साहू, भाटापारा, छत्तीसगढ़
स्वरोजगार से दूरी ठीक नहीं
वर्तमान समय में बेरोजगारी ज्वलंत समस्या है। बढ़ती बेरोजगारी के लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। मसलन -दोषपूर्ण शिक्षा नीति, कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति, नियमों में विसंगतियां, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का अभाव, परीक्षाओं में नकल एवं भ्रष्टाचार का बोलबाला, शिक्षा में सामाजिक एवं व्यावहारिक ज्ञान का अभाव जैसे बहुत से कारण जिम्मेदार हैं। आज युवा डिग्री तो ले लेते हैं, परन्तु उनमें आवश्यक योग्यता संबंधित ज्ञान का अभाव रहता है। साथ ही राजकीय सेवा की लालसा तथा निजी व्यवसाय एवं स्वरोजगार में अरुचि भी बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है।
-डॉ.राकेश कुमार गुर्जर, सीकर
अनियंत्रित आबादी
अनियंत्रित आबादी देश में बेरोजगारी का मूल कारण है ! साथ ही पास बुक, सीरिज़ तथा सिलेक्टेड प्रश्न पत्रों का ज्ञान लेकर शैक्षणिक योग्यता अर्जित करने वाले युवकों की सरकारी नौकरी की चाह भी बेरोजगारी की जन्मदात्री साबित हो रही है।
-कैलाश सामोता, कुंभलगढ़, राजसमंद
सरकार जिम्मेदार
बढ़ती बेरोजगारी के लिए सरकार पूर्णरूप से जिम्मेदार है। आज के समय में पीएचडी किए हुए युवा भी बेरोजगार हैं। जब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती होती है, तो ऐसे युवाओं के आवदेन भी प्राप्त होते हैं। युवाओं में सरकारों के प्रति अविश्वास व असंतोष है। सरकारें भर्ती प्रकिया को तय समय में करवाने में नाकाम है। एक भर्ती को पूरा होने मे 5 से 10 साल लग रहे हैं। सरकार विभिन्न मंत्रालयों में नए पद सृजित करने की बजाय पहले के पदों में भी कटौती कर रही है। मशीनीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है
-लक्ष्मण कुम्हार, बांय, तारानगर, चूरू
रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता जरूरी
बढ़ती हुई बेरोजगारी आज का ज्वलंत मुद्दा है। इसके लिए विभिन्न स्तर पर काम की जरूरत है। सरकार सरकारी नौकरियों का सृजन और संरक्षण जारी रखते हुए स्वरोजगार को बढ़ावा दे। ‘कौशल विकास की बड़ी-बड़ी बातों के बावजूद सरकारी आईटीआई, पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति व प्रशिक्षण की गुणवत्ता किसी से छिपी नहीं है। रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम प्रासंगिक व गुणवत्ता युक्त हो। सरकारें औद्योगीकरण में क्षेत्रीय संतुलन पर ध्यान दें।
-सुरेन्द्र सिंह लोधी, कोलारस, शिवपुरी
बेरोजगारी बढ़ाती दोषपूर्ण शिक्षाप्रणाली
हमारे देश की शिक्षा प्रणाली केवल साधारण शिक्षा प्रदान करती है तथा प्रायोगिक विषय-वस्तु रहित है। वास्तव में शैक्षिक प्रणाली की अर्थव्यवस्था को मानव शक्ति आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने के लिये कोई सच्चे प्रयत्न नहीं किये गये । भारतीय शिक्षा नीति केवल सरकार एवं निजी कम्पनियों के लिए लिपिक और छोटे दर्जे के कार्यकर्ता ही तैयार करती है ।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
ठोस नीति नहीं
भारत में बढ़ती बेरोजगारी के लिए लगातार आबादी का बढऩा और संसाधनों की कमी एक मुख्य कारण है। ये सब जानते हुए भी बेरोजगारी दर पर संतुलन के लिए सरकार की तरफ से कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई।
-लेखराम बरेठ, बालको नगर, कोरबा, छत्तीसगढ़
सरकार से नाराजगी
बेरोजगारी के चलते युवा वर्ग में सरकार के प्रति अविश्वास की भावना व गुस्सा पनप रहा है। कोई भी सरकार रही हो, उसने बेरोजगारी की समस्या पर गंंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया। रिटायर्ड होने की अवधि 60 से भी कम हो। इससे नए लोगो को मौका मिलेगा।
-रोहितास सिह भुवाल, दुर्ग छत्तीसगढ़
बंद होती फैक्ट्रियां
सरकार की शिक्षा नीति, आरक्षण का दानव, जनसंख्या वृद्धि, पैसों से हासिल की गई डिग्रियां, बंद होती फैक्ट्रियां, सरकारी नौकरी में छंटनी बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है। इसके लिए सरकार के साथ जनता भी जिम्मेदार है ।
अर्विना, ग्रेटर नोएडा
भ्रष्टाचार ने बढ़ाई समस्या
देश में भ्रष्टाचार और आरक्षण के कारण कई योग्य उम्मीदवार बेरोजगारी के शिकार हो जाते हैं। शिक्षा का व्यावसायीकरण और गुणवत्ता में कमी बच्चों की रचनात्मकता पर असर डाल रही है है। इससे उनका भविष्य संकट में पड़ रहा है । वर्तमान में युवा पाश्चात्य संस्कृति के चपेट में फंसकर अपना लक्ष्य भूल रहे हैं
-ऋचा राजगुरु, इंदौर
रोजगार सृजन नीतियों की जरूरत
देश की लगातार बढ़ती समस्याओं में बेरोजगारी वर्तमान की ज्वलंत समस्या बनती जा रही है। इसका कारण यह है कि भारत एक युवा राष्ट्र है तथा इस समस्या का सीधा सम्बन्ध देश के युवा वर्ग से है। वर्तमान में यह समस्या घातक रूप लेती जा रही है। युवा वर्ग को उच्च शिक्षित करने के उद्देश्य से शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाया जा रहा है, परंतु रोजगार सृजन के अभाव में यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे निपटने के लिए नवीन रोजगार सृजन नीतियों की आवश्यकता है। नौकरियों में लिए भर्ती प्रक्रियाओं के संपादन में तय समयसीमा का अभाव नए बेरोजगारों को जन्म देता जा रहा है।
-अमित कुमार, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
महामारी जिम्मेदार
बढ़ती बेरोजगारी के लिए महामारी जिम्मेदार है ,क्योंकि महामारी के कारण काम -धंधे तबाह हो गए हैं। लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो रहा है। उनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
-महावीर सिंह भाटी, बिनावास, जोधपुर
सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण
जनसंख्या का अबाध गति से बढऩा और युवाओं का सरकारी नौकरी के प्रति लगाव बेरोजगारी को बढ़ा रहा है। सरकारी नीतियों का प्रभावशाली ढंग से नहीं बनना और इनका क्रियान्वयन अच्छे से नहीं हो पाना भी एक कारण है।
-अरविंद भंसाली, जसोल,बाड़मेर
कोरोना ने भी बढ़ाई महामारी
कोरोना महामारी के चलते भारत में बेरोजगारी में बहुत तेजी से बढ़ातरी हुई है। ऐसी स्थिति में यदि सरकार रोजगार प्रदान करने के लिए मनरेगा जैसी नीतियां नहीं अपनाती है, तो स्थिति और चिंताजनक हो सकती है। बड़े उद्योगों में मजदूरों को लागत कम करने के लिए निकाल दिया जाता है। भ्रष्टाचार भी एक बड़ी चुनौती है। राज्य सरकारों को भी उन क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए, जिनमें ज्यादा रोजगार पैदा होते हों।
-दीप्ति जैन, उदयपुर
सरकारी नौकरी पर ध्यान
बढ़ती बेरोजगारी के लिए हम स्वयं जिम्मेदार है, क्योकि आजकल हमने सरकारी नौकरी को ही रोजगार समझ लिया है। इसलिए सरकारी नौकरी पाने के लिए कई वर्ष तक प्रयास करते रहते हैं। यह नहीं सोचते कि स्वयं का धंधा या कारोबार खोलकर मालिक बनकर रोजगार प्रदान करें।
-हितेश मेनारिया, उदयपुर
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