राजस्थान में बढते मामलों में जैसलमेर व बाड़मेर जिलों मे आये दिन होने वाली सामान्य वारदातों में आत्महत्या के मामालों में अतिवृद्वि देखी गयी है।
जानतें है एक्सपर्ट एडोलसेंन्ट हैल्थ काउसलर सुनील टाक से जो 8 वर्शों से किशोर किशोरियों की आत्महत्या जैसें मुद्वों पर संवाद कार्यक्रम व काउसलिंग सेवाए दे रहे है।
कोरोनाकाल में आत्महत्या जैसें विशय पर उत्कर्ष कांउसलिंग सेवाए देने व कोविड-19 रोकथाम मेें पोकरण माॅडल विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान देने पर राज्य स्तर से Change Maker Humanity Award से सम्मानित किये जा चुके है।
जानते है क्या है आत्म हत्या और इसे कैसे रोका जा सकता है।
आत्महत्या का विचार अक्सर आवेग होता है जिसे इन माध्यमों की पहुंच को सीमित करके रोका जा सकता है। आत्महत्या के तरीकों का अध्ययन आत्महत्या से बचाव के तरीके अपनाने के लिए किया जाता है।
राजस्थान मे हर साल बढ रहे आत्महत्या के मामले आत्महत्या करने के प्रमुख कारण और इसे रोकने के उपाय
भारत समेत पूरी दुनिया में आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 699000 लोग सुसाइड (आत्महत्या) करते हैं। आत्महत्या तब मानी जाती है, जब कोई व्यक्ति अपना जीवन समाप्त करने के उद्देश्य खुद को नुकसान पहुंचाता है और परिणाम स्वरूप उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जबकि ‘आत्महत्या का प्रयास’ ऐसा कृत्य है, जिसमें व्यक्ति खुद का जीवन समाप्त करने के उद्देश्य कोई गलत कदम उठाता है मगर सहयोग से उसकी मृत्यु नहीं होती है।
अगर भारत में आत्महत्या के आंकड़ों की बात करें तो वह काफी डरावने हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। एनसीआरबी ने आत्महत्या को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर यह दिखाने की कोशिश की है कि देश में किस वर्ग के लोग ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। इनमें दिहाड़ी मजदूर, घरेलू महिलाएं, बेरोजगार, छात्र और किसान समेत अलग-अलग वर्ग के लोगों ने किसी न किसी कारण से आत्महत्या की।
आत्महत्या के आंकड़े साल दर साल बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में आत्महत्या के कारणों के समझना बहुत जरूरी है। साथ ही हमें यह भी समझना होगा कि आत्महत्या के मामलों को कैसे कम किया जा सकता है?
आत्महत्या करने के कुछ प्रमुख कारण?
हालांकि आत्महत्या का कारण अज्ञात होता है लेकिन कुछ सामान्य जोखिम कारक है जो आत्महत्या को बढ़ावा देते हैं।
- कुछ मानसिक रोग जैसे- अवसाद बाइपोलर डिसऑर्डर सिजोफ्रेनिया आदि मूड डिसऑर्डर शामिल है।
- मादक द्रव्यों का अत्यधिक सेवन
- आत्महत्या का पारिवारिक इतिहास
- रिश्तों में कड़वाहट
- नौकरी का छूटना
- आत्मसम्मान को ठेस पहुंचना
- असहनीय भावनात्मक या शारीरिक पीड़ा
- किशोर अवस्था का तनाव
- किशोर अवस्था में प्यार सम्बंध
- जीवन में असफलता
- जिद्दी स्वभाव को होना या कहना न मानना
क्या करें जब रह-रहकर आ रहे हों आत्महत्या के विचार (Tips for Suicide Prevention):
कई बार लोगों में हताशा और उदासी की भावनाएं इतनी प्रबल हो जाती हैं कि, लोग खुदकुशी करने का मन बनाने लगते हैं। डिप्रेशन, कोई गहरा सदमा या मानसिक परेशानियां हर किसी को प्रभावित करती हैं। जब ये परेशानियां बहुत अधिक बढ़ जाती हैं तो, आत्महत्या जैसे ख्याल आते हैं। लेकिन, अगर लोगों को पता हो कि ऐसी भावनाओं को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं तो आपके लिए भी इस स्थिति से बचने में मदद होगी। इसीलिए, अगर आपके आसपास किसी व्यक्ति में सुसाइड करने के विचार आते दिखें तो उनकी मदद इस तरह करें।
बढ़ाएं मदद का हाथ
सबसे पहले अपने आसपास के लोगों को अपनी विचारों के बारे में बताएं। हमारे आसपास के कई लोग इस तरह की स्थितियों में हमारी मदद कर सकते हैं। उनसे चर्चा करें, आवश्यकता के अनुसार उन्हें सलाह दें। उन्हें अपनी दवाइयों के बारे में याद दिलाते रहें और प्रोफेशनल हेल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
आत्महत्या को कैसे रोकें?
अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति या आप स्वयं बहुत तनाव में है और आत्महत्या वाले विचार आ रहे हैं तो सबसे पहले अपने विचारों को डायवर्ट करने की कोशिश करें। मन में उठने वाले बुरे विचारों को अपनी फैमिली या किसी खास दोस्त से शेयर करें, इससे आपका मन हल्का हो जाएगा। अगर आपकी फैमिली में अगर आपकी फैमिली में कोई बहुत अकेला रह रहा है, किसी से बात नहीं करता है, तो उसके पास बैठे हैं और उसके दिल का हाल जानने की कोशिश करें। अगर कुछ ना कर पाएं तो उसे किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के पास ले जाएं।
आत्महत्या के विचारों को रोकने के लिए आप आध्यात्म का भी सहारा ले सकते हैं इसके अलावा उन कामों में मन लगा सकते हैं जिसमें आपको सबसे ज्यादा खुशी मिलती हो। अपनी ताकत को पहचानें और सकारात्मक विचारों के साथ जीवन में आगे बढ़ें।
ट्रिगर्स को पहचानें
डिप्रेशन होने पर कई कारणों से आत्महत्या के ख्याल बार-बार आ सकते हैं। अकेलापन, शराब पीने की लत, ड्रग्स की लत जैसी स्थितियां आत्महत्या के विचारों को बढ़ा सकती हैं। ऐसे में इन ट्रिगर्स को पहचानें। डिप्रेशन महसूस होने पर पीड़ित व्यक्ति के आसपास रहें, उन्हें परिवार और दोस्तों के साथ फोन पर बात करने के लिए कहें और डिप्रेशन महसूस कर रहे व्यक्ति को भावनात्मक स्तर पर बेहतर महसूस कराने की कोशिश करें। इसी तरह ड्रग और शराब के सेवन से बचाएं। उस व्यक्ति को प्रोत्साहित करें कि वह खुद के लिए समय निकाले और खुद का ध्यान रखे।
सेहत का रखें ख्याल
शारीरिक और मानसिक हेल्थ आपके विचारों को भी स्वस्थ रखती है। अगर आपकी सेहत ठीक होगी तो धीरे-धीरे सुसाइड करने के ख्याल कम होने लगते हैं। इसीलिए, हेल्दी और बैलेंस्ड डायट लेने, एक्सरसाइज़ करने और तनाव से बचने में पीड़ित व्यक्ति की सहायता करें। अगर आप दोनों एक ही घर में रहते हैं तो मरीज़ के सोने-जागने का समय निश्चित करें और उन्हें अच्छी नींद लेने के लिए प्रोत्साहित करें। खुश और हेल्दी रहने के लिए उस व्यक्ति को अपनी हॉबिज़ के लिए वक़्त निकालने के लिए कहें और हो सके तो आप भी उनके साथ उन एक्टिविटीज़ में हिस्सा लें।
भारत सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम™RKSK RAJSATHAN
@RKSK_RAJ
किशोर किशोरियों के बढते मामलों के देखते भारत सरकार ने किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन किया है। जिसे सभी राज्य इस कार्यक्रम का सफल संचालन भी कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में इसका दायरा बढाया गया है। राजस्थान राज्य में अतिपिछडें 10 जिलों में संचालित है।
https://health.rajasthan.gov.in/content/raj/medical/national-health-mission/en/nhm-additionality/rksk.html#कुछ आॅनलाईन हैल्प लाईन
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