मोदी, मंगल और महाकाल से 2 अद्भुत संयोग:उज्जैन मंगलनाथ की जन्मभूमि, PM की राशि का स्वामी भी मंगल
उज्जैन के छण-छण में, पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है. कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मध्य प्रदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जैन में श्री महाकाल लोक राष्ट्र को समर्पित किया। इस परियोजना का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करना और विरासत संरचनाओं के संरक्षण एवं बहाली पर विशेष बल देना है। पूरी परियोजना की कुल लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है।
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पीएम ने कहा कि उज्जैन वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है. ये वो नगर है, जहां भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी. उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी. आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आहृवान किया है. उन्होंने कहा कि इसलिए आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है. काशी में विश्वनाथ धाम भारत की संस्कृति का गौरव बढ़ा रहा है. सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. पीएम मोदी उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ, बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं. हमारे शास्त्रों में एक वाक्य है- शिवम् ज्ञानम् इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है. शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांण्ड का सर्वोच्च दर्शन है.
मोदी से जुड़ा संयोग… पहली बार मंगल को इतना बड़ा काम
नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक के लोकार्पण के लिए मंगलवार चुना। उन्होंने आज तक जो भी ऐतिहासिक, धार्मिक, सकारात्मक और तयशुदा फैसले किए उनमें कभी मंगलवार नहीं आया। अधिकतर काम सोमवार को किए हैं। पहली बार किसी विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के विस्तार का लोकार्पण मंगलवार को उनके हाथों से हुआ है।
उज्जैन को मंगल (मंगलनाथ) की जन्मभूमि माना गया है। मोदी मंगलवार को ही उज्जैन पहुंचे। इस दिन चंद्रमा मेष का है, जिसका स्वामी मंगल है। मोदी की राशि वृश्चिक है, इसका स्वामी भी मंगल है। उनकी कुंडली का लग्न भी वृश्चिक है इसका स्वामी भी मंगल ही है।
अब दूसरा संयोग जान लेते हैं…
महाकाल और काशी विश्वनाथ दोनों को विश्व और भूलोक का स्वामी माना गया है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पीएम मोदी का ज्योतिर्लिंग विस्तार के लिए इन्हीं दोनों को चुनना, अपने आप में संयोग है। काशी विश्वनाथ। यह ज्योतिर्लिंग उत्तरमुखी है, जो कि देवों की दिशा है। यानी विश्व में देवों की सुरक्षा का जिम्मा काशी विश्वनाथ संभालते हैं। उसका विस्तार मोदी ने ही कराया।
अब बात महाकाल की। शास्त्रों के अनुसार महाकाल इकलौता ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है। दक्षिण को दैत्य, असुरों की दिशा कहा जाता है। यानी जिस महाकाल के विस्तार का लोकार्पण मोदी के हाथों कराया गया है, वह महाकाल दैत्यों पर नजर रखने वाले भूलोक के स्वामी हैं। यानी एक दैत्यों से बचाने वाले हैं, दूसरे देवों को संभालने वाले..।
उज्जैन के पं. आनंद शंकर व्यास कहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। कुदरत चाहती तो उनके हाथों से किसी और भव्य कॉरिडोर का लोकार्पण भी करा सकती थी, लेकिन सबसे पहले उन्हें ये ही दो मिले।
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