Nupur Sharma: नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले नेता भारत के नहीं बल्कि दूसरे मुल्क के हैं. हम बात कर रहे हैं डच राजनेता और नीदरलैंड के विधानमंडल के सदस्य, गीर्ट वाइल्डर्स की.
Nupur Sharma: भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान की दुनिया भर के कई देशों ने आलोचना की है. खुद को इस विवाद से अलग करने के बावजूद भाजपा को देश के भीतर भी जोरदार विरोध का सामना करना पड़ा है. वहीं, कई ऐसे भी लोग हैं जो नूपुर शर्मा का खुलकर समर्थन कर रहे हैं. नूपुर शर्मा का समर्थन करने वालों में अब एक दिग्गज नेता का नाम भी शामिल हो गया है. आइये आपको बताते हैं नूपुर शर्मा का किस नेता ने समर्थन किया है.
जानें किस नेता ने किया नूपुर शर्मा का समर्थन
नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले नेता भारत के नहीं बल्कि दूसरे मुल्क के हैं. हम बात कर रहे हैं डच राजनेता और नीदरलैंड के विधानमंडल के सदस्य, गीर्ट वाइल्डर्स की. उन्होंने नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में ट्वीट्स की एक श्रृंखला पोस्ट की है.
‘नूपुर शर्मा के साथ खड़े होने की जरूरत’
इस पूरे मामले को लेकर गीर्ट ने अरब देशों की भी कड़ी आलोचना की है. एक ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि नूपुर शर्मा ने सही जानकारी दी. भारत को उनके समर्थन में खड़ा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता. उन्हें यह भी लगता है कि भारतीयों को नूपुर शर्मा के साथ खड़े होने की जरूरत है.
‘मुस्लिम देशों में लोकतंत्र नहीं’
नूपुर शर्मा के बयान पर असंतोष जताने वाले अरब देश के खिलाफ डच राजनेता ने आवाज उठाई है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि मुस्लिम देशों में लोकतंत्र नहीं है. वहां जिस तरह से अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है, उनका अपमान किया जाता है, ऐसा कहीं और नहीं होता. ऐसा करने वालों की भी आलोचना की जानी चाहिए.
भारतीय प्रोडक्ट्स का बहिष्कार
कई मुस्लिम देशों ने इस घटना की आलोचना की है. कुवैत के एक शॉपिंग मॉल में भारतीय प्रोडक्ट्स का बहिष्कार तक किया जा चुका है. असंतोष की यही तस्वीर कुछ अन्य देशों में भी देखने को मिली है. कुवैत (कुवैत), इराक, ईरान, सऊदी अरब, कतर, ओमान, अरब अमीरात (यूएई), जॉर्डन, लीबिया, बहरीन, मालदीव, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया ने नूपुर शर्मा की कड़ी आलोचना की है.
भारत सरकार दे चुकी है सफाई
भारत सरकार से माफी मांगने के लिए भी कहा गया है. इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की और संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई का आह्वान किया. यह देखने का अनुरोध किया गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाए. हालांकि, मोदी सरकार पहले ही कह चुकी है कि यह टिप्पणी भारत सरकार द्वारा समर्थित नहीं है. यह बयान भारत सरकार की सोच के विपरीत है.
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