Presidential Election: ईवीएम एक ऐसी तकनीक पर आधारित है, जिसमें वह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे चुनावों में वोट के समूहक यानी एग्रेगेटर के तौर पर काम करती है. मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबाते हैं और जो सबसे ज्यादा वोट हासिल करता है उसे विजेता घोषित किया जाता है.
President Election 2022: कभी आपने सोचा है कि 2004 के बाद से चार लोकसभा चुनावों और 127 विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सदस्यों और राज्य विधान परिषदों के सदस्यों के चुनाव में इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता?
- ‘सीक्रेट बैलेट करा लें, दिमाग के दरवाजे खुल जाएंगे…’, राहुल गांधी के बयान पर बोले LG मनोज सिन्हा
- टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?
- IND vs SA Final Live: भारत ने फाइनल में जीता टॉस, साउथ अफ्रीका के खिलाफ बैटिंग चुनी
- जब पहली बार मिले थे अटल-आडवाणी… ऐसे बनी थी देश की मशहूर सियासी जोड़ी
- जब पहली बार मिले थे अटल-आडवाणी… ऐसे बनी थी देश की मशहूर सियासी जोड़ी
ईवीएम एक ऐसी तकनीक पर आधारित है, जिसमें वह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे चुनावों में वोट के समूहक यानी एग्रेगेटर के तौर पर काम करती है. मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबाते हैं और जो सबसे ज्यादा वोट हासिल करता है उसे विजेता घोषित किया जाता है.
कैसे अलग है राष्ट्रपति चुनाव
लेकिन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद का चुनाव अलग तरह से होता है. राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक सिंगल ट्रांसफरेबल वोट से होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार सिंगल ट्रांसफरेबल वोट के जरिए हर निर्वाचक उतनी ही वरीयताओं पर निशान लगा सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. उम्मीदवारों की वरीयता पर मतदाता बैलेट पेपर के कॉलम नंबर 2 पर निशान लगाता है. उम्मीदवारों के नाम के आगे वह वरीयता के हिसाब से 1,2,3,4,5 लिख देता है.
…तो राष्ट्रपति चुनाव के लिए चाहिए होगी अलग ईवीएम
राष्ट्रपति चुनाव में एडीएन ने द्रौपदी मुर्मू को बतौर उम्मीदवार उतारा है. जबकि विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा खड़े हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि ईवीएम को मतदान के इस सिस्टम को दर्ज करने के लिए नहीं बनाया गया है. ईवीएम वोट का एग्रेगेटर है और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत मशीन को वरीयता के आधार पर वोटों की गणना करनी होगी और इसके लिए पूरी तरह से अलग तकनीक की जरूरत होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो इसके लिए एक अलग तरह की ईवीएम चाहिए.
निर्वाचन आयोग की मैगजीन ‘माई वोट मैटर्स’ के अगस्त, 2021 के एडिशन के अनुसार 2004 से अब तक चार लोकसभा और 127 विधानसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा चुका है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, पहली बार 1977 में निर्वाचन आयोग में इसकी परिकल्पना की गई थी और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल), हैदराबाद को ईवीएम को डिजाइन और विकसित करने का काम सौंपा गया था.
राष्ट्रपति चुनाव में बैलेट बॉक्स में डाले जाते हैं वोट, जानें क्यों नहीं होता ईवीएम का इस्तेमाल
- E-MITRA ALL FORM
- Helath & Care
- Uncategorized
- अंडमान और निकोबार द्वीप
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- आंध्रप्रदेश
- इलेक्शन
- उत्तरप्रदेश
- उत्तराखंड
- एजुकेशन
- ओडिशा
- कर्नाटक
- केरल
- क्राइम
- खेल जगत
- गुजरात
- गोवा
- चंडीगढ़
- छत्तीसगढ़
- जम्मू और कश्मीर
- जैसलमेर
- जोधपुर
- झारखंड
- टेक्नोलॉजी
- तमिलनाडु
- तेलंगाना
- त्रिपुरा
- दर्द
- दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव
- दिल्ली
- देश-दुनिया
- नागालैंड
- नौकरी
- पंजाब
- पश्चिम बंगाल
- पुडुचेरी
- फर्ज और कर्ज
- बजट
- बाड़मेर
- बिजनेस
- बिहार
- बोलीवुड जगत
- मणिपुर
- मध्य प्रदेश
- मनोरंजन
- महाराष्ट्र
- मिज़ोरम
- मेघालय
- राजस्थान
- राज्य
- लक्षद्वीप
- लद्दाख
- लाइफ स्टाइल
- लेटेस्ट पोस्ट
- वेब स्टोरीज
- समाचार
- सिक्किम
- हरियाणा
- हिमाचल प्रदेश
Author Profile
Latest entries
- इलेक्शनSeptember 12, 2024‘सीक्रेट बैलेट करा लें, दिमाग के दरवाजे खुल जाएंगे…’, राहुल गांधी के बयान पर बोले LG मनोज सिन्हा
- इलेक्शनSeptember 12, 2024टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?
- खेल जगतJune 29, 2024IND vs SA Final Live: भारत ने फाइनल में जीता टॉस, साउथ अफ्रीका के खिलाफ बैटिंग चुनी
- UncategorizedMarch 30, 2024जब पहली बार मिले थे अटल-आडवाणी… ऐसे बनी थी देश की मशहूर सियासी जोड़ी